वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २५

बालकाण्ड सर्ग- २५ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २४

बालकाण्ड सर्ग- २४ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २३

बालकाण्ड सर्ग- २३ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २२

बालकाण्ड सर्ग- २२ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २१

बालकाण्ड सर्ग- २१ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २०

बालकाण्ड सर्ग- २० यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १९

बालकाण्ड सर्ग- १९ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १८

बालकाण्ड सर्ग- १८ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १७

बालकाण्ड सर्ग- १७ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १६

बालकाण्ड सर्ग- १६ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १५

बालकाण्ड सर्ग- १५ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १४

बालकाण्ड सर्ग- १४ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १३

बालकाण्ड सर्ग- १३ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १२

बालकाण्ड सर्ग- १२ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ११

बालकाण्ड सर्ग- ११ यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ९

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ९ सुमन्त्र का दशरथ को ऋष्यशृंग मुनि को बुलाने की सलाह देते हुए उनके अंगदेश जाने और शान्ता से विवाह का प्रसंग सुनाना।

आगे पढ़ें

दशानन- लंकापति रावण संपूर्ण कथा | The Ravan Full Story

भारतीय पौराणिक कथाएं साधारण अच्छाई और बुराई से परे है। हिन्दू पुराणों में हर कदम पर एक दिलचस्प कहानी है। ऐसी ही एक कहानी लंकापति रावण की है। रावण ने खलनायक की भूमिका निभाई,

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ४

महर्षि वाल्मीकि का चौबीस हजार श्लोकों से युक्त रामायणकाव्य का निर्माण कर लव-कुशको पढ़ाना, लव और कुश का अयोध्या में श्रीराम द्वारा सम्मानित हो रामदरबार में रामायण गान सुनाना।

आगे पढ़ें

ब्रह्मा अवतार तथा ब्रह्माण्ड की रचना

सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान नारायण के नाभिकमल से सर्व प्रथम ब्रह्मा जी का प्राकट्य हुआ। इसी से वे पद्मयोनि भी कहलाते हैं। नारायण की इच्छाशक्ति की प्रेरणा से स्वयं उत्पन्न होने के कारण ये स्वयम्भू भी कहलाते है।

आगे पढ़ें

भगवान नरसिंह और भक्त प्रहलाद कथा

बहुत पुरानी बात है, उस समय सत्ययुग चल रहा था। एक बार भगवान ब्रह्मा के मानस-पुत्र ऋषि सनकादि, जिनकी आयु हमेशा पंचवर्षीय बालक कीसी ही रहती है, वैकुण्ठ लोक में जा पहुँचे। वे भगवान् विष्णु के पास जाना चाहते थे

आगे पढ़ें

महर्षि दुर्वासा कथा

ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रेता एवं द्वापर तीनों युगों में मौजूद थे। पुराणों के अध्ययन से पता चलता है कि वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवन्त आदि कई ऋषि, मुनि और देवता हुए हैं जिनका जिक्र सभी युगों में पाया जाता है।

आगे पढ़ें

वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ३

वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य में निबद्ध विषयों का संक्षेप से उल्लेख

आगे पढ़ें

कल्कि अवतार कथा

कल्कि को विष्णु का भावी अवतार माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा। पौराणिक आख्यानों के अनुसार अभी तो कलियुग का प्रथम चरण है।

आगे पढ़ें

उद्योगपर्व- महाभारत (पाँचवा अध्याय)

उद्योग पर्व में विराट की सभा में पाण्डव पक्ष से श्रीकृष्ण, बलराम, सात्यकि का एकत्र होना और युद्ध के लिए द्रुपद की सहायता से पाण्डवों का युद्धसज्जित होना, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को और धृतराष्ट्र द्वारा दुर्योधन को समझाना, पाण्डवों से परामर्श कर कृष्ण द्वारा शान्ति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास जाना, दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को बन्दी बनाने का षडयन्त्र करना, लौटे हुए श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों को दण्ड देने का परामर्श, दोनों पक्षों की सेनाओं का वर्णन, भीष्म-परशुराम का युद्ध आदि विषयों का वर्णन है।

आगे पढ़ें

भगवान परशुराम सम्पूर्ण कथा

भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। उनके पिता ब्राह्मण जमदग्नि तथा माता क्षत्रिय रेणुका थी। इसलिये उनके अंदर ब्राह्मण तथा क्षत्रिय दोनों के गुण थे। उनका बचपन में नाम राम रखा गया था किंतु भगवान शिव से प्राप्त अस्त्र परशु/कुल्हाड़ी के कारण उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उनका जन्मस्थल मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर में जनापाव नामक पहाड़ियां है।

आगे पढ़ें