शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 10 (पृथ्वी की व्याकुलता)

धर्म के प्रति लोगों की अतिशय ग्लानि देखकर पृथ्वी अत्यन्त भयभीत एवं व्याकुल हो गई। वह सोचने लगी कि पर्वतों, नदियों और समुद्रों का बोझ मुझे इतना भारी नहीं जान पड़ता, जितना भारी मुझे एक परद्रोही (दूसरों का अनिष्ट करने वाला) लगता है। धरती वहाँ गई, जहाँ सब देवता और मुनि (छिपे) थे। पृथ्वी ने रोकर उनको अपना दुःख सुनाया।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 9 (राजा प्रतापभानु)

सम्पूर्ण पृथ्वी मंडल का उस समय प्रतापभानु ही एकमात्र (चक्रवर्ती) राजा था। संसारभर को अपनी भुजाओं के बल से वश में करके राजा ने अपने नगर में प्रवेश किया। प्रजा सब (प्रकार के) दुःखों से रहित और सुखी थी और सभी स्त्री-पुरुष सुंदर और धर्मात्मा थे।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १०

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १० अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 8 (मनु और शतरूपा)

शिव-शक्ति श्रीराम मिलन (अष्टम भाग) स्वायम्भुव मनु और (उनकी पत्नी) शतरूपा, जिनसे मनुष्यों की यह अनुपम सृष्टि हुई, आज भी वेद जिनकी मर्यादा का गान करते हैं। एक बार उनके मन में बड़ा दुःख हुआ कि श्री हरि की भक्ति बिना जन्म युँ ही चला गया। तब उन्होंने अपना संपूर्ण….

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ९

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ९ सुमन्त्र का दशरथ को ऋष्यशृंग मुनि को बुलाने की सलाह देते हुए उनके अंगदेश जाने और शान्ता से विवाह का प्रसंग सुनाना।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 7 (नारद का मोह)

शिव-शक्ति श्रीराम मिलन (सप्तम भाग) नारद ने श्रीहरि से कहा तुम दूसरों की सम्पदा नहीं देख सकते, तुम्हारे ईर्ष्या और कपट बहुत है। समुद्र मथते समय तुमने शिवजी को बावला बना दिया और देवताओं को प्रेरित करके उन्हें विषपान कराया।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ८

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ८ मे आप पढ़ेंगे राजा दशरथ का पुत्र के लिये अश्वमेध यज्ञ करने का प्रस्ताव और मन्त्रियों तथा ब्राह्मणों द्वारा उनका अनुमोदन।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ७

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ७ मे महर्षि वाल्मीकि ने राजमन्त्रियों के गुण और नीति का वर्णन बड़े ही विस्तार पूर्वक किया है।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ६

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ६ राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 6 (श्रीराम अवतार का कारण)

विवाह के बाद जब शिवजी और पार्वती कैलास पर्वत पर पहुँचे, तब सब देवता अपने-अपने लोकों को चले गए। शिव-पार्वती विविध प्रकार के भोग-विलास करते हुए अपने गणों सहित कैलास पर रहने लगे। तभी एक दिन पार्वती ने शिवजी से…

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 5 (शिव-पार्वती विवाह)

नारदजी ने पूर्वजन्म की कथा सुनाकर सबको समझाया (और कहा) कि हे मैना! तुम मेरी सच्ची बात सुनो, तुम्हारी यह लड़की साक्षात जगज्जनी भवानी है। ये अजन्मा, अनादि और अविनाशिनी शक्ति हैं। सदा शिवजी के अर्द्धांग में रहती हैं। ये जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली हैं और अपनी इच्छा से ही लीला शरीर धारण करती हैं।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 4 (शिव बारात)

शिव-शक्ति श्रीराम मिलन (चतुर्थ भाग) श्री रामचन्द्रजी ने बहुत प्रकार से शिवजी को समझाया और पार्वतीजी का जन्म सुनाया। कृपानिधान श्री रामचन्द्रजी ने विस्तार पूर्वक पार्वतीजी की अत्यन्त पवित्र करनी का वर्णन किया।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 3 (पार्वती का जन्म)

सतीजी ने भरी सभा मे क्रोधित होकर कहाँ कि, चन्द्रमा को ललाट पर धारण करने वाले वृषकेतु शिवजी को हृदय में धारण करके मैं इस शरीर को तुरंत ही त्याग दूँगी। ऐसा कहकर सतीजी ने योगाग्नि में अपना शरीर भस्म कर डाला। सारी यज्ञशाला में हाहाकार मच गया। तब सती का मरण सुनकर शिवजी के गण यज्ञ विध्वंस करने लगे।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 2 (सती का आत्मदाह)

सतीजी ने सीताजी का वेष धारण किया, यह जानकर शिवजी के हृदय में बड़ा विषाद हुआ। उन्होंने सोचा कि यदि मैं अब सती से प्रीति करता हूँ तो भक्तिमार्ग लुप्त हो जाता है और बड़ा अन्याय होता है। सती परम पवित्र हैं, इसलिए इन्हें छोड़ते भी नहीं बनता और प्रेम करने में बड़ा पाप है।

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शिव-शक्ति श्रीराम मिलन भाग- 1 (श्रीराम की परीक्षा)

एक बार त्रेता युग में शिवजी अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सतीजी भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत्‌ के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया। मुनिवर अगस्त्यजी ने रामकथा विस्तार से कही, जिसको महेश्वर ने परम सुख मानकर सुना। फिर ऋषि ने शिवजी से सुंदर हरिभक्ति पूछी और शिवजी ने उनको अधिकारी पाकर (रहस्य सहित) भक्ति का निरूपण किया।

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Do you know all the Ramayana question and answers?

 मुख पृष्ठ  अखंड रामायण  Ramayana question and answers  Ramayana question and answers सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरातन संस्कृति है। यह सत्यता

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काल कौन था और कैसे हुई थी कलयुग की रचना ? The Story Of Kaal

कलयुग की रचना जब सभी देवताओं की सभा चल रही था तो उस वक्त काल बीच सभा में नाराज और सभा को बीच मे ही छोड़ कर चला जाता हैं उसकी इस नाराजगी से सभी देवता डर जाते हैं

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How To Add Lazy Load AdSense In WordPress And Blogger -Hindi

Lazy Load AdSense का इस्तेमाल करके आप अपनी WordPress और Blogger वेबसाइट की स्पीड को तेज कर सकते हैं। जिससे आपके वेबसाइट का ट्रैफिक और विजिटर मजबूत बना रहेगा। और आय भी दुगुनी होगी। आइए विस्तार पूर्वक जानते है,

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शिव के 12 ज्योर्तिलिंग स्तोत्र | Shiva 12 Jyotirling Stotra

12 ज्योतिर्लिंग स्तोत्र में कुल 13 श्लोक है और इन स्तोत्र में भारत में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। हर एक श्लोक में एक ज्योतिर्लिंग का वर्णन है और अंतिम श्लोक में इस स्तोत्र के पाठ का लाभ बताया गया है।

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श्री घुश्मेश्वर |What Is The Full Story Of Shri Ghushmeshwar

श्री घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग एक प्रमुख ज्योर्तिलिंग माना जाता है। 12 ज्योर्तिलिंगों में यह अंतिम ज्योर्तिलिंग है। इसे घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय मे..

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श्री नागेश्वर कथा | What Is The Full Story Of Shri Nageshwar

श्री नागेश्वर अर्थात की नागों के ईश्वर, नागों का देवता वासुकी जो भगवान शिव जी के गले में कुंडली मार कर बैठे रहते है। जो विष से संबंधित रोग से मुक्ति दिलाते है।

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श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar

श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। ये तीन शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाने जाते हैं। इस ज्योतिर्लिंग कि विषेश मान्यता है कि..

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श्री भीमेश्वर कथा| What Is The Full Story Of Shri Bhimeshwar

शिवपुराण में मान्यता है जो भक्त 12 ज्योतिर्लिग का नाम जापते हुए श्री भीमेश्वर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप मिटते है तथा स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

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श्री ओंकारेश्वर | What Is The Full Story Of Shri Omkareshwar

ओंकार और इश्वर अर्थात श्री ओंकारेश्वर, वह पवित्र स्थान जहॉं ओंकारेश्वर साक्क्षात विराजमान है। इस ज्योतिर्लिंग को शिव महापुराण में ‘परमेश्वर लिंग’ भी कहा गया है।

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श्री मल्लिकार्जुन | What Is The Full Story Of Mallikaarjun

श्री मल्लिकार्जुन ‘मल्लिकाʼ का अर्थ माँ पार्वती है और ‘अर्जुनʼ शिव जी को कहा जाता है। अगर हम इन दोनों शब्दों की संधि करते हैं तो यह “मल्लिकार्जुन” शब्द बनता है।

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