Hindu Navavarsh हिन्दू नववर्ष का विक्रम संवत 2080 में प्रवेश

नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। इस साल 2023 में हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2080, पिंगल संवत्सर का स्वागत बुधवार 22 मार्च 2023 के दिन किया जायेगा। हिन्दू धर्म में इस दिन को शुभ दिन माना जाता है।

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भगवान शिव जन्म कथा | What Is The Shiv Janm katha

शिव का जन्म- जब संपूर्ण ब्रह्मांड जलमग्न था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा कोई भी अस्तित्व में नहीं था। तब भगवान विष्णु ही शेषनाग पर विश्राम करते हुए नजर

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रामसेतु एक अजूबा | Ramsetu Ek Ajooba

रामसेतु एक अजूबा- भगवान श्रीराम की वानर सेना द्वारा रावण से पत्नी सीता को बचाने के लिए और भगवान श्रीराम को लंका पहुंचाने के लिए इस सेतु का निर्माण किया गया था।

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दशानन- लंकापति रावण संपूर्ण कथा | The Ravan Full Story

भारतीय पौराणिक कथाएं साधारण अच्छाई और बुराई से परे है। हिन्दू पुराणों में हर कदम पर एक दिलचस्प कहानी है। ऐसी ही एक कहानी लंकापति रावण की है। रावण ने खलनायक की भूमिका निभाई,

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ४

महर्षि वाल्मीकि का चौबीस हजार श्लोकों से युक्त रामायणकाव्य का निर्माण कर लव-कुशको पढ़ाना, लव और कुश का अयोध्या में श्रीराम द्वारा सम्मानित हो रामदरबार में रामायण गान सुनाना।

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ब्रह्मा अवतार तथा ब्रह्माण्ड की रचना

सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान नारायण के नाभिकमल से सर्व प्रथम ब्रह्मा जी का प्राकट्य हुआ। इसी से वे पद्मयोनि भी कहलाते हैं। नारायण की इच्छाशक्ति की प्रेरणा से स्वयं उत्पन्न होने के कारण ये स्वयम्भू भी कहलाते है।

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भगवान नरसिंह और भक्त प्रहलाद कथा

बहुत पुरानी बात है, उस समय सत्ययुग चल रहा था। एक बार भगवान ब्रह्मा के मानस-पुत्र ऋषि सनकादि, जिनकी आयु हमेशा पंचवर्षीय बालक कीसी ही रहती है, वैकुण्ठ लोक में जा पहुँचे। वे भगवान् विष्णु के पास जाना चाहते थे

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महर्षि दुर्वासा कथा

ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रेता एवं द्वापर तीनों युगों में मौजूद थे। पुराणों के अध्ययन से पता चलता है कि वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवन्त आदि कई ऋषि, मुनि और देवता हुए हैं जिनका जिक्र सभी युगों में पाया जाता है।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- ३

वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य में निबद्ध विषयों का संक्षेप से उल्लेख

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कल्कि अवतार कथा

कल्कि को विष्णु का भावी अवतार माना गया है। पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा। पौराणिक आख्यानों के अनुसार अभी तो कलियुग का प्रथम चरण है।

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५. उद्योगपर्व- महाभारत

उद्योग पर्व में विराट की सभा में पाण्डव पक्ष से श्रीकृष्ण, बलराम, सात्यकि का एकत्र होना और युद्ध के लिए द्रुपद की सहायता से पाण्डवों का युद्धसज्जित होना, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को और धृतराष्ट्र द्वारा दुर्योधन को समझाना, पाण्डवों से परामर्श कर कृष्ण द्वारा शान्ति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास जाना, दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को बन्दी बनाने का षडयन्त्र करना, लौटे हुए श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों को दण्ड देने का परामर्श, दोनों पक्षों की सेनाओं का वर्णन, भीष्म-परशुराम का युद्ध आदि विषयों का वर्णन है।

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भगवान परशुराम सम्पूर्ण कथा

भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। उनके पिता ब्राह्मण जमदग्नि तथा माता क्षत्रिय रेणुका थी। इसलिये उनके अंदर ब्राह्मण तथा क्षत्रिय दोनों के गुण थे। उनका बचपन में नाम राम रखा गया था किंतु भगवान शिव से प्राप्त अस्त्र परशु/कुल्हाड़ी के कारण उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उनका जन्मस्थल मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर में जनापाव नामक पहाड़ियां है।

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४. विराटपर्व- महाभारत

विराट पर्व में अज्ञातवास की अवधि में विराट नगर में रहने के लिए गुप्तमन्त्रणा, धौम्य द्वारा उचित आचरण का निर्देश, युधिष्ठिर द्वारा भावी कार्यक्रम का निर्देश, कौरवों द्वारा विराट की गायों का हरण, पाण्डवों का कौरव-सेना से युद्ध, अर्जुन द्वारा विशेष रूप से युद्ध और कौरवों की पराजय, अर्जुन और कुमार उत्तर का लौटकर विराट की सभा में आना, विराट का युधिष्ठिरादि पाण्डवों से परिचय तथा अर्जुन द्वारा उत्तरा को पुत्रवधू के रूप में स्वीकार करना वर्णित है।

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महिषासुर संपूर्ण कथा

।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।महिषासुर संपूर्ण कथा। महिषासुर संपूर्ण कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार रम्भासुर असुरों का राजा था। एक दिन उसका जल

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३. वनपर्व- महाभारत

पांडवों का वनवास, अर्जुन की तपस्या तथा दिव्यास्त्र की प्राप्ति, अर्जुन की इंद्रलोक-यात्रा, भीम की हनुमान से भेंट, दुर्योधन आदि का गर्व हरण इत्यादी घटनाक्रम है।

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२. सभापर्व- महाभारत

सभापर्व में मयासुर द्वारा युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण, लोकपालों की भिन्न-भिन्न सभाओं का वर्णन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, जरासन्ध का वृत्तान्त तथा उसका वध, राजसूय के लिए अर्जुन आदि चार पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, राजसूय यज्ञ, शिशुपालवध, द्युतक्रीडा, युधिष्ठिर की द्यूत में हार और पाण्डवों का वनगमन वर्णित है।

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१. आदिपर्व- महाभारत

आदिपर्व मे कथा-प्रवेश के बाद च्यवन का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, जनमेजय के सर्पसत्र की सूचना, नागों का वंश, कद्रू कद्रू और विनता की कथा, देवों-दानवों द्वारा समुद्र मंथन, परीक्षित का आख्यान, सर्पसत्र राजा उपरिचर का वृत्तान्त, व्यास आदि की उत्पत्ति, दुष्यन्त-शकुन्तला की कथा, पुरूरवा, नहुष और ययाति के चरित्र का वर्णन, भीष्म का जन्म और कौरवों-पाण्डवों की उत्पत्ति, कर्ण-द्रोण आदि का वृत्तान्त, द्रुपद की कथा, लाक्षागृह का वृत्तान्त, हिडिम्ब का वध और हिडिम्बा का विवाह, बकासुर का वध, धृष्टद्युम्न और द्रौपदी की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह, पाण्डव का हस्तिनापुर में आगमन, सुन्द-उपसुन्द की कथा, नियम भंग के कारण अर्जुन का वनवास, सुभद्राहरण और विवाह, खाण्डव-दहन और मयासुर रक्षण की कथा वर्णित है।

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- २

रामायण काव्य का उपक्रम- तमसा के तटपर क्रौञ्चवध से संतप्त हुए महर्षि वाल्मीकि के शोक का श्लोक-रूप में प्रकट होना तथा ब्रह्माजी का उन्हें रामचरित्रमय काव्य के निर्माण का आदेश देना

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गांडीव धनुष और अक्षय तरकश कथा

।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।गांडीव धनुष और अक्षय तरकश कथा। आप मेरे लिए एक चाय खरीद सकते है।:- ।₹ 10। गांडीव धनुष और

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वैकुण्ठ धाम कथा

 मुख पृष्ठ  पोस्ट  वैकुण्ठ धाम कथा  भगवान विष्णु का वैकुण्ठ धाम कथा वैकुण्ठ अथवा बैकुंठ का वास्तविक अर्थ है वो स्थान जहां

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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १

वाल्मीकि रामायण भावार्थ सहित- बालकाण्ड सर्ग- १ में नारदजी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना।

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पिनाक धनुष की कथा

 मुख पृष्ठ  पोस्ट  पिनाक धनुष की कथा  पिनाक धनुष की कथा पिनाक शंकर के धनुष का नाम है, जिसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था। यह

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जामवंत कथा

।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।जामवंत कथा। जामवंत कथा प्राचीन काल में इंद्र पुत्र, सूर्य पुत्र, चंद्र पुत्र, पवन पुत्र, वरुण पुत्र, ‍अग्नि पुत्र

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जन्माष्टमी संपूर्ण कथा

।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।जन्माष्टमी कथा। जन्माष्टमी कथा कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार हैं। एक बार इंद्र ने नारदजी से कहा हे-

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तुलसीदास की कथा

।मुख पृष्ठ।।पोस्ट।।तुलसीदास की कथा। तुलसीदास की कथा गोस्वामी तुलसीदास जो किशोरा अवस्था तक एक सामान्य व्यक्ति की तरह मोहमाया और

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