अखंडरामायण अरण्यकाण्ड

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॥ श्री गणेशाय नमः ॥
॥ श्री कमलापति नम: ॥
॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥
॥ श्री रामचरित मानस ॥
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अरण्यकाण्ड

अखंड रामायण
(भावार्थ सहित/रहित)
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अरण्यकाण्ड भावार्थ सहित/रहित

अरण्यकाण्ड

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अखंडरामायण के अरण्यकाण्ड में राम, सीता तथा लक्ष्मण दण्डकारण्य में प्रवेश करते हैं। जंगल में तपस्वी जनों की करुण-गाथा सुनते हैं। इसके पश्चात् राम पञ्चवटी में आकर आश्रम में रहते हैं, वहीं शूर्पणखा से मिलन होता है। शूर्पणखा के प्रसंग में उसका नाक-कान विहीन करना तथा उसके भाई खर दूषण तथा त्रिशिरा से युद्ध और उनका संहार वर्णित है। इसके बाद रावण-मारीच संवाद, मारीच का स्वर्णमय, कपटमृग बनना, मारीच वध, सीता का रावण द्वारा अपहरण, सीता को छुड़ाने के लिए जटायु का युद्ध, गृध्रराज जटायु का रावण के द्वारा घायल किया जाना, अशोकवाटिका में सीता को रखना, श्रीराम का विलाप, सीता का अन्वेषण, राम-जटायु-संवाद तथा जटायु को मोक्ष प्राप्ति, कबन्ध की आत्मकथा, उसका वध तथा दिव्यरूप प्राप्ति, शबरी के आश्रम में राम का गमन, ऋष्यमूक पर्वत तथा पम्पा सरोवर के तट पर राम का गमन आदि प्रसंग अरण्यकाण्ड में उल्लिखित हैं। अरण्यकाण्ड से जुड़े सभी घटनाक्रमों की सूची नीचे दी गयी है। आप सभी घटना के बारे में उस पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-

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