श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar
त्र्यम्ब के इश्वर (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव कथा

मुख पृष्ठ पोस्ट ज्योतिर्लिंग शिव के 12 ज्योतिर्लिंग श्री त्र्यम्बकेश्वर कथा

श्री त्र्यम्बकेश्वर कथा
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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-
श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रांत में नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो मे यह आठवाँ ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में शिवपुराण में यह कथा वर्णित है-
एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ऋषियों की पत्नियाँ किसी बात पर उनकी पत्नी अहिल्या से नाराज हो गईं। उन्होंने अपने पतियों को ऋषि गौतम का अपकार करने के लिए प्रेरित किया। उन ऋषियों ने इसके निमित्त भगवान श्री गणेशजी की आराधना की।
गणेशजी का प्रकट होना
उनकी आराधना से प्रसन्न हो गणेशजी ने प्रकट होकर उनसे वर मांगने को कहा उन ऋषियों ने कहा- ‘प्रभो! यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो किसी प्रकार ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर निकाल दें।’ उनकी यह बात सुनकर गणेशजी ने उन्हें ऐसा वर मांगने के लिए समझाया। किंतु वे अपने आग्रह पर अटल रहे।
अंततः गणेशजी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी। अपने भक्तों का मन रखने के लिए वे एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में जाकर रहने लगे। गाय को फसल चरते देखकर ऋषि बड़ी नरमी के साथ हाथ में तृण लेकर उसे हांकने के लिए लपके। उन तृणों का स्पर्श होते ही वह गाय वहीं मरकर गिर पड़ी। अब तो बड़ा हाहाकार मच गया।
सारे ऋषि एकत्र हो गो-हत्यारा कहकर ऋषि गौतम की भर्त्सना करने लगे। ऋषि गौतम इस घटना से बहुत आश्चर्यचकित और दुःखी थे। अब उन सारे ऋषियों ने कहा कि तुम्हें यह आश्रम छोड़कर अन्यत्र कहीं दूर चले जाना चाहिए। गो-हत्यारे के निकट रहने से हमें भी पाप लगेगा।
विवश होकर ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ वहाँ से एक कोस दूर जाकर रहने लगे। किंतु उन ऋषियों ने वहाँ भी उनका रहना दूभर कर दिया। वे कहने लगे- ‘गो-हत्या के कारण तुम्हें अब वेद-पाठ और यज्ञादि के कार्य करने का कोई अधिकार नहीं रह गया।’
गौतम ऋषि को ऋषियों ने बताया यह उपाय
अत्यंत अनुनय भाव से ऋषि गौतम ने उन ऋषियों से प्रार्थना की कि आप लोग मेरे प्रायश्चित और उद्धार का कोई उपाय बताएं। तब उन्होंने कहा- ‘गौतम! तुम अपने पाप को सर्वत्र सबको बताते हुए तीन बार पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करो। फिर लौटकर यहाँ एक महीने तक व्रत करो।
इसके बाद ‘ब्रह्मगिरी’ की 101 परिक्रमा करने के बाद तुम्हारी शुद्धि होगी अथवा यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से शिवजी की आराधना करो। इसके बाद पुनः गंगाजी में स्नान करके इस ब्रह्मगरी की 11 बार परिक्रमा करो। फिर सौ घड़ों के पवित्र जल से पार्थिव शिवलिंगों को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा।
भगवान शिव का प्रकट होना
ऋषियों के कथनानुसार महर्षि गौतम वे सारे कार्य पूरे करके पत्नी के साथ पूर्णतः तल्लीन होकर भगवान शिव की आराधना करने लगे। इससे प्रसन्न हो भगवान शिव ने प्रकट होकर उनसे वरदान मांगने को कहा। महर्षि गौतम ने उनसे कहा- ‘भगवान मैं यही चाहता हूँ कि आप मुझे गो-हत्या के पाप से मुक्त कर दें।’
भगवान शिव ने कहा- ‘गौतम ! तुम सर्वथा निष्पाप हो। गो-हत्या का अपराध तुम पर छलपूर्वक लगाया गया था। छलपूर्वक ऐसा करवाने वाले तुम्हारे आश्रम के ऋषियों को मैं दण्ड देना चाहता हूँ।’ इस पर महर्षि गौतम ने कहा कि प्रभु! उन्हीं के निमित्त से तो मुझे आपका दर्शन प्राप्त हुआ है।
अब उन्हें मेरा परमहित समझकर उन पर आप क्रोध न करें।’ बहुत से ऋषियों, मुनियों और देवगणों ने वहाँ एकत्र हो गौतम की बात का अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से सदा वहीं निवास करने की प्रार्थना की। वे उनकी बात मानकर वहीं त्र्यम्ब ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थापित हो गए। गौतमजी द्वारा लाई गई गंगाजी भी वहॉं पास में गोदावरी नाम से प्रवाहित होने लगीं। यह ज्योतिर्लिंग समस्त पुण्यों को प्रदान करने वाला है।
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श्री त्र्यम्बकेश्वर का अर्थ
तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहाँ विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा। उज्जैन और ओंकारेश्वर की ही तरह श्री त्र्यम्बकेश्वर महाराज को इस गाँव का राजा माना जाता है, इसलिए हर सोमवार को त्र्यम्बकेश्वर के राजा अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का शिवलिंग में वास
श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। ये तीन शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाने जाते हैं। त्र्यबंकेश्वर मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं, जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्मगिरी को शिव स्वरूप माना जाता है। नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है। गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी यां गंगा का मंदिर है। मूर्ति के चरणों से बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है, जो कि पास के एक कुंड में जमा होता है।
दर्शन से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
यह त्र्यंबक नामक ज्योतिर्लिंग सभी कामनाओं को पूर्ण करता हैं। यह महापातकों का नाशक और मुक्ति-प्रदायक है। जब सिंह राशि पर बृहस्पति आते हैं, तब इस गौतमी तट पर सकल तीर्थ, देवगण और नदियों में श्रेष्ठ गंगाजी पधारती हैं तथा महाकुंभ पर्व होता हैं।


श्री त्र्यम्बकेश्वर FAQ?
श्री त्र्यम्बकेश्वर की कहानी क्या है?
महर्षि गौतम के तपोवन में कई ऐसे ऋषि थे जो गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते थे। एक बार सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ने कहा कि इस हत्या के पाप के प्रायश्चित में देवी गंगा को यहाँ लेकर आना होगा। तब गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी। विस्तार पूर्वक पढ़े..
श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar
श्री त्र्यम्बकेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?
श्री त्र्यम्बकेश्वर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही विराजित हैं। विस्तार पूर्वक पढ़े..
श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar
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श्री त्र्यम्बकेश्वर का अर्थ क्या है?
तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहाँ विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा। उज्जैन और ओंकारेश्वर की ही तरह श्री त्र्यम्बकेश्वर महाराज को इस गाँव का राजा माना जाता है, इसलिए हर सोमवार को त्र्यम्बकेश्वर के राजा अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। विस्तार पूर्वक पढ़े..
श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar
श्री त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के पास कौन सी नदी है?
त्र्यम्बकेश्वर शहर एक प्राचीन हिन्दू तीर्थस्थल है, जो गोदावरी नदी के स्रोत पर स्थित है, जो प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी है। तथा गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी यां गंगा का मंदिर है। मूर्ति के चरणों से बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है, जो कि पास के एक कुंड में जमा होता है। विस्तार पूर्वक पढ़े..
श्री त्र्यम्बकेश्वर |What Is The Story Of Shri Trimbakeshwar
आठवाँ ज्योतिर्लिंग कौन सा है?
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रांत में नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो मे यह आठवाँ ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में शिवपुराण में एक कथा वर्णित है।
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