प्रश्नावली चक्र मे क्यों है हर समस्या का समाधान जानिए

॥ श्री गणेशाय नमः ॥
॥ श्री कमलापति नम: ॥
॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥
॥ श्री चामुण्डायै नमः ॥

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नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र श्रीराम शलाका प्रश्नावली
श्री दुर्गा सप्तशती जिसमें माँ दुर्गा की महिमा, शक्ति और महासागरी शक्ति का वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ (संपूर्ण भाग) 🐅


[ नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र ]
जानिए इस चक्र से अपने सवालों के जवाब इस चक्र की उपयोग विधि इस प्रकार है।
जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना है वो पहले पांच बार “ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करने के बाद 1 बार इस मंत्र का जाप करें-

इसके बाद आंखें बंद करके अपना सवाल पूछें और माता दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें। जिस कोष्ठक (खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक के फलादेश को ही अपने प्रश्न का उत्तर समझें।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
10 09 08 07 06
05 04 03 02 01
आपके अंक का फलादेश यहाँ देखें
01- आपको धन का लाभ होगा एवं मान-सम्मान भी मिलेगा। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
02- आपको धन की हानि अथवा अन्य प्रकार का अनिष्ट होने की आशंका है। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
03- आपका अभिन्न मित्र अथवा किसी प्रिय से मिलन होगा, जिससे मन प्रफुल्लित होगा। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
04- आपको कोई व्याधि अथवा रोग होने की आशंका है, अत: कार्य अभी टाल देना ही ठीक रहेगा। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
05- जो भी कार्य आपने सोचा है, उसमें आपको सफलता मिलेगी, निश्चिंत रहें। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
06- आप कुछ दिन कार्य टाल दें। इसमें किसी से कलह अथवा कहासुनी भी हो सकती है, जिसके दूरगामी प्रभाव भी हो सकते है। यहाँ से 108 बार सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
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07- आपका अच्छा समय शुरू हो गया है। शीघ्र ही सुंदर एवं स्वस्थ पुत्र होने के योग हैं। इसके अतिरिक्त आपकी अन्य मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
08- विचार पूरी तरह त्याग दें। इस कार्य में मृत्यु तुल्य कष्ट की आशंका है। यहाँ तक कि मृत्यु भय भी है। कृपया महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
09- समाज अथवा सरकार की दृष्टि में सम्मान बढ़ेगा। आपका सोचा हुआ कार्य अच्छा है। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
10- आपको अपेक्षित लाभ प्राप्त होगा, अत: कार्यारंभ कर सकते हैं। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
11- आप जिस कार्य के बारे में सोच रहे हैं, उसमें हानि की आशंका है। 108 बार गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
12- आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। पुत्र से भी आपको विशेष लाभ मिलेगा। गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें।
13- शनिदेव की उपासना करें, कार्य में आ रही बाधाएं दूर होंगी। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
14- आपका अच्छा समय शुरू हो गया है। चिंताएं मिटेंगी, सुख-संपत्ति प्राप्त होगी। 108 बार गायत्री मन्त्र का जाप करें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें
15- आर्थिक तंगी के कारण ही आपके घर में सुख-शांति नहीं है। एक माह बाद स्थितियां बदलने लगेंगी, धैर्य एवं संयम रखें। प्रतिदिन एक सप्ताह तक 108 बार गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें।


[ श्रीराम शलाका प्रश्नावली ]
हर व्यक्ति यही चाहता है की उसका जीवन एक परीकथा की तरह हो, उसे जीवन में हर प्रकार की सुख सुविधा मिले, सभी कार्य उसके अनुरूप हों। लेकिन यह जीवन कोई परीकथा नहीं वरन इस जीवन में हमें नित्य नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
हम कार्य तो बहुत से करते है, सपने हमारे असीमित है लेकिन बहुत से कार्य, बहुत से सपने पूर्ण नहीं हो पाते है, कई बार दूसरे लोग जिस कार्य में सफल हो रहे होते है हम असफल हो जाते है या अत्यन्त परिश्रम, अत्यधिक योजनाओं के उपरांत भी हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते है… तब हम असमंजस में पड़ जाते है की हम क्या करें.? हमें अमुक कार्य करना चाहिए अथवा नहीं, हमें सफलता मिलगी अथवा हमारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी, ऐसी असमंज की स्तिथि से पार पाने के लिए पवित्र श्रीराम शलाका से हमें सच्चा मार्ग दर्शन प्राप्त हो सकता है।
हमारे धार्मिक साहित्य में इस अद्भुत पवित्र श्री राम शलाका की बहुत मान्यता है और इसका उपयोग भी बहुत ही सरल है।
सर्वप्रथम प्रभु श्रीराम का सच्चे ह्रदय से स्मरण करते हुए अपने मन में अपना प्रश्न सोचें जिस पर आप प्रभु की कृपा चाह रहे है, फिर उस कार्य की सफलता की प्रार्थना करते हुए नीचे दिए गए“ किसी भी शब्द पर अपनी आंख बंद करके क्लिक कर दें।
जिस शब्द पर आपने क्लिक किया है उससे हर नौ खानों में दिए गए शब्दों को जोड़कर एक चौपाई बनती है जो आपका समाधान है अब आप अपनी आँखे खोल दें आपकी आँखों के सामने आपके प्रश्न का उत्तर होगा।”
श्रीराम शलाका प्रश्नावली
सु | प्र | उ | बि | हो | मु | ग | ब | सु |
नु | बि | घ | धि | इ | द | र | रु | फ |
सि | सि | रहिं | बस | हि | मं | ल | न | ल |
य | न | अं | सुज | सो | ग | सु | कु | म |
स | ग | त | न | इ | ल | धा | बे | नो |
त्य | र | न | कु | जो | म | रि | र | र |
अ | की | हो | सं | रा | य | पु | सु | थ |
सी | जे | इ | ग | म | सं | क | रे | हो |
स | स | नि | त | र | त | र | स | हुॅ |
ध्यान दें:–
1. इस प्रश्नावली को कोई भी किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने इष्टदेव को याद करके प्रयोग कर सकता है।
2. गंदे हाथों से, बिना नहाये हुए, जूते चप्पल पहन कर, बहुत जल्दी में इस प्रश्नावली का कतई प्रयोग न करें।
3. एक ही प्रश्न को को बार बार न पूछें।
4. एक दिन में एक व्यक्ति अलग अलग ३-४ से ज्यादा प्रश्नों का अर्थ ना निकालें।
यदि आप हिन्दु धर्म को मानने वाले है तो लगातार ७ शनिवार को हनुमान जी पर सिंदूर में चमेली का तेल मिलकर उनके पैरों से शुरू करते हुए ऊपर सारे शरीर पर लगायें और उसके बाद अगर संभव हो तो चाँदी का वर्क भी लगायें और यदि आपको कार्य में सफलता मिल जाती है तो हनुमान जी पर चोला अर्पित करें और भंडारा या गरीबों में भोजन अवश्य ही वितरित करें ।
यह पवित्र श्रीराम शलाका हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ रामचरितमानस से ली गयी है तथा बहुत लम्बे समय से इसकी मान्यता चली आ रही है। यह साईट इसकी अकाट्यता के लिए कोई भी दावा नहीं करती है।

चौपाई :
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मन कामना तुम्हारी॥
भवार्थ:
यह चौपाई बालकाण्ड मे सीता जी को गौरी जी का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा।
आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है स्वेच्छापूर्वक आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता– पिता, बड़े बुजुर्गो, बच्चो, भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें।

चौपाई :
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥
भवार्थ:
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। अर्थ यह है कि भगवान के नाम का स्मरण करते हुये कार्य शुरू करें सफलता मिलेगी।
आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है स्वेच्छापूर्वक आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता– पिता ,बड़े बुजुर्गो, बच्चो, भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें।

चौपाई :
उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू॥
भवार्थ:
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। कार्य की सफलता मे संदेह है।
आपको उत्तर प्राप्त हुआ है की कार्य की सफलता में संदेह है और आप तब भी उसे करना चाहते है, आपको लगता है की वह कार्य आपके लिए बहुत ही जरुरी है और आपके लिए उसे त्यागना काफी मुश्किल है तो आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल के ऊपर कलावा बांधकर कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दें, और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराते हुए कार्य के फल को ईश्वर के ऊपर छोड़ दें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें।

चौपाई :
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥
भवार्थ:
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। अर्थ यह है कि बुरे लोगों का संग छोड़ दें कार्य की सफलता मे संदेह है।
आपको उत्तर प्राप्त हुआ है की कार्य की सफलता में संदेह है और आप तब भी उसे करना चाहते है, आपको लगता है की वह कार्य आपके लिए बहुत ही जरुरी है और आपके लिए उसे त्यागना काफी मुश्किल है तो आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल के ऊपर कलावा बांधकर कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दें, और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराते हुए कार्य के फल को ईश्वर के ऊपर छोड़ दें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें।

चौपाई :
होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करितर्क बढ़ावै साखा॥
भवार्थ:
यह चौपाई बालकाण्ड शिव पार्वती संवाद मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है। प्रभु पर छोड़ दें।
आपको उत्तर प्राप्त हुआ है की कार्य की सफलता में संदेह है और आप तब भी उसे करना चाहते है, आपको लगता है की वह कार्य आपके लिए बहुत ही जरुरी है और आपके लिए उसे त्यागना काफी मुश्किल है तो आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल के ऊपर कलावा बांधकर कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दें, और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराते हुए कार्य के फल को ईश्वर के ऊपर छोड़ दें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें

चौपाई :
मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥
भवार्थ:
यह चौपाई बालकाण्ड मे संत समाजरुपी तीर्थ वर्णन मे आती है। अर्थ यह है कि कार्य सिद्ध होगा।
आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है स्वेच्छापूर्वक आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता– पिता, बड़े बुजुर्गो, बच्चो, भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें।

चौपाई :
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
भवार्थ:
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है कार्य सिद्ध होगा।
आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है स्वेच्छापूर्वक आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता– पिता, बड़े बुजुर्गो, बच्चो, भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें।
- आज की पहली पसंद:
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- उत्तरकाण्ड- 101-130
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- अयोध्याकाण्ड- 101-125
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- बालकाण्ड- 201-225
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- अयोध्याकाण्ड- 251-275
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- अयोध्याकाण्ड- 301-326
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- बालकाण्ड- 226-250
- श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित- अयोध्याकाण्ड- 126-150

चौपाई :
बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुखधरि काहु न धीरा॥
भवार्थ:
यह चौपाई रावण वध पर मंदोदरी के विलाप के संदर्भ मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है।
आपको उत्तर प्राप्त हुआ है की कार्य की सफलता में संदेह है और आप तब भी उसे करना चाहते है, आपको लगता है की वह कार्य आपके लिए बहुत ही जरुरी है और आपके लिए उसे त्यागना काफी मुश्किल है तो आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल के ऊपर कलावा बांधकर कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दें, और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराते हुए कार्य के फल को ईश्वर के ऊपर छोड़ दें। या यहाँ से सुख-शान्ति प्राप्ति हेतु मंत्रो का जाप करें

चौपाई :
सुफल मनोरथ हो हुँ तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥
भवार्थ:
यह चौपाई विश्वामित्र का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा।
आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है स्वेच्छापूर्वक आप किसी भी धर्म स्थान / राम / हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता– पिता, बड़े बुजुर्गो, बच्चो, भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें।

