९. शल्यपर्व- महाभारत


॥ श्री गणेशाय नमः ॥
॥ श्री कमलापति नम: ॥
॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥
॥ श्री गुरूदेवाय नमः ॥
दान करें

Paytm-1

Paytm-2

PayPal

 अत्यधिक पढ़ा गया लेख: 8M+ Viewers
सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-





मुख पृष्ठमहाभारत८. शल्यपर्व

९. शल्यपर्व- महाभारत

महाभारत
(हिन्दी में)
सब एक ही स्थान पर

शल्यपर्व का वर्णन

शल्य पर्व में कर्ण की मृत्यु के पश्चात कृपाचार्य द्वारा सन्धि के लिए दुर्योधन को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक करना, मद्रराज और शल्य का अदभुत पराक्रम, युधिष्ठिर द्वारा शल्य और उनके भाई का वध करना, सहदेव द्वारा शकुनि का वध करना, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का वहा से पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश करना, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद करना, श्रीकृष्ण और बलराम का भी वहाँ पर पहुँचना, दुर्योधन के साथ भीम का वाग्युद्ध और गदा युद्ध करना और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाना, दुर्योधन का विलाप करना और सेनापति पद पर अश्वत्थामा का अभिषेक आदि वर्णित है।

शल्य का सेनापतित्व तथा अठारहवें दिन का युद्ध 

युद्ध अपने चर्म पर था तभी शल्य को सामने देखकर युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि तुम जाकर संसप्तकों से युद्ध करो। तथा भीम कृपाचार्य से मोर्चा लेंगे एवं मैं शल्य से युद्ध करूँगा। तभी शल्य और युधिष्ठिर भिड़ गए। फिर चारों ओर से शल्य पर आक्रमण होने लगे। तभी शल्य ढाल और तलवार लेकर रथ से कूदे तथा युधिष्ठिर को मारने के लिए दौड़े इसी समय युधिष्ठिर ने शल्य पर एक घातक शक्ति का प्रयोग किया जिससे शल्य की मृत्यु हो गई।

यह सब देख कर कौरव-सेना भाग खड़ी हुई। इसी समय दुर्योधन भी पांडवों के सामने आ डटा। और सहदेव शकुनि पर झपटे। तभी शकुनि का पुत्र उलूक अपने पिता की रक्षा के लिए आगे बढ़ा, पर सहदेव ने उसके प्राण ले लिये। सहदेव ने शकुनि पर भी एक घातक तीर छोड़ा तथा शकुनि भी मारा गया।

पाठको की पहली पसंद
अखंड रामायणबालकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
अयोध्याकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
अरण्यकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
किष्किन्धाकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
सुन्दरकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
लंकाकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
उत्तरकाण्ड(भावार्थ सहित/रहित)
श्री भगवद् गीता
श्री गरुड़पुराण

दुर्योधन का वध

शकुनि की मृत्यु के बाद दुर्योधन अकेले ही गदा लेकर रण-क्षेत्र से बाहर पैदल ही निकल गया। और वह दूर सरोवर में जाकर छिप गया। उसे छिपते हुए वहॉं कुछ लोगों ने देख लिया। तभी कृष्ण ने भीम से कहा कि बिना दुर्योधन का वध किए पूरी विजय नहीं मिल सकती। उसी समय गाँव से आने वाले कुछ लोगों ने बताया कि उस सरोवर में एक मुकुटधारी व्यक्ति को हमने छिपते हुए हमने देखा है।

फिर कृष्ण के कहने पर भीम ने दुर्योधन को अपशब्द कहकर ललकारा। दुर्योधन गुस्साए हुए बाहर आ गया। उसी समय उसके गुरु बलराम भी उधर से आ निकले। तब कृष्ण ने दुर्योधन को भी युद्ध के लिए तैयार हो जाने को कहा। दुर्योधन ने कहा- मैं युद्ध के लिए तैयार हूँ, पर अब धर्म युद्ध होगा और मेरे गुरु बलराम उसके निरीक्षक होंगे। फिर भीम तथा दुर्योधन में गदा युद्ध छिड़ गया।

तभी कृष्ण ने अपनी जाँघ पर थपकी मारी जिससे भीम को दुर्योधन की जाँघ तोड़ने की अपनी प्रतिज्ञा याद आ गई। गदा युद्ध में कमर के नीचे प्रहार नहीं किया जाता। दुर्योधन की जाँघ की हड्डी टूट गई। गिरते ही भीम ने उसके सिर पर प्रहार किया। बलराम इस अन्याय युद्ध को देख बहुत क्रोधित होकर भीम को मारने दौड़े, पर कृष्ण ने उन्हें शांत कर दिया। पांडव फिर वहाँ से चले गए तथा धृतराष्ट्र और गांधारी बिलख- बिलखकर रोने लगे। 

अश्वत्थामा का सेनापतित्व

अब कौरवों के केवल तीन ही महारथी बचे थे- अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा। संध्या के समय जब उन्हें पता चला कि दुर्योधन घायल होकर पड़े हैं, तब वे तीनों वीर वहाँ देखने पहुँचे। दुर्योधन उन्हें देखकर अपने अपमान से क्षुब्ध होकर विलाप कर रहा था। अश्वत्थामा ने तभी प्रतिज्ञा की कि मैं चाहे जैसे भी हो, पर पांडवों का वध अवश्य करूँगा। तभी दुर्योधन ने वहीं अश्वत्थामा को सेनापति बना दिया। 

शल्य पर्व के अन्तर्गत 2 उपपर्व है और इस पर्व में 65 अध्याय हैं। ये 2 उपपर्व इस प्रकार है- ह्रदप्रवेश पर्व, गदा पर्व।

Today’s Top View Story:

मुख पृष्ठ / महाभारत

MNSPandit

चलो चले संस्कृति और संस्कार के साथ

3 thoughts on “९. शल्यपर्व- महाभारत

अपना बिचार व्यक्त करें।

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.