१७. महाप्रास्थानिकपर्व- महाभारत

॥ श्री गणेशाय नमः ॥
॥ श्री कमलापति नम: ॥
॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥
॥ श्री गुरूदेवाय नमः ॥
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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-





।मुख पृष्ठ।।महाभारत।।१७. महाप्रास्थानिकपर्व।


महाभारत
(हिन्दी में)
सब एक ही स्थान पर

१७. महाप्रास्थानिकपर्व- महाभारत
महाप्रास्थानिक पर्व में मात्र 3 अध्याय हैं। इस पर्व में द्रौपदी सहित पाण्डवों का महाप्रस्थान वर्णित है। वृष्णि वंशियों का श्राद्ध करके, प्रजाजनों की अनुमति लेकर द्रौपदी के साथ युधिष्ठिर आदि पाण्डव महाप्रस्थान करते हैं, किन्तु युधिष्ठिर के अतिरिक्त सबका देहपात मार्ग में ही हो जाता है। इन्द्र और धर्म से युधिष्ठिर की बातचीत होती है और युधिष्ठिर को सशरीर स्वर्ग मिलता है।
पांडवों की हिमालय यात्रा
श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद पांडव भी अत्यंत उदासीन रहने लगे तथा उनके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया। उन्होंने हिमालय की यात्रा करने का निश्चय किया। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजगद्दी सौंपकर युधिष्ठिर अपने चारों भाइयों और द्रौपदी के साथ चले गए तथा हिमालय पहुँचे। उनके साथ एक कुत्ता भी था। कुछ दूर चलने पर हिमपात शुरू हो गया तथा द्रौपदी गिर पड़ी। उसका देहांत हो गया। युधिष्ठिर आगे बढ़ते रहे तथा रास्ते में एक-एक करके उनके सभी भाई गिरते गए तथा उनके प्राण जाते रहे। कुछ दूर जाने पर इंद्र अपने रथ से उतरकर आए तो युधिष्ठिर को सशरीर स्वर्ग ले जाना चाहा। युधिष्ठिर ने कहा कि मैं इस कुत्ते को छोड़कर नहीं जाना चाहता। वह कुत्ता यमराज था।
अखंड रामायण
• बालकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)• अयोध्याकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
• अरण्यकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
• किष्किन्धाकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
• सुन्दरकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
• लंकाकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
• उत्तरकाण्ड– (भावार्थ सहित/रहित)
► श्री भगवद् गीता
► श्री गरुड़पुराण
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