काशी विश्वनाथ | What Is The Full Story Of Kashi Vishwanath

विश्व के नाथ बाबा काशी विश्वनाथ

काशी विश्वनाथ

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काशी विश्वनाथ

बाबा काशी विश्वनाथ कथा

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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-

मंदिरों का शहर एवं भारत की धार्मिक राजधानी और भोलेनाथ की नगरी है काशी, शाम होते ही यह पवित्र नगरी शिव मय हो जाती है। जिसके एक ओर कल-कल बहती गंगा तो दूसरी ओर अपने विराट स्वरूप में बाबा विश्वनाथ स्थित है। बाबा विश्वनाथ से काशी का रिश्ता आदिकाल से ही चला आ रहा है।

धार्मिक पुराणों में कई जगह काशी विश्वनाथ मंदिर का वर्णन मिलता है। यहाँ पर विराजमान, शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो मे यह सातवाँ ज्योतिर्लिंग है। कई धार्मिक ग्रंथ महादेव के काशी में बसने की कहानी कहते हैं। आदिकाल से लेकर अब तक बाबा विश्वनाथ काशी की पहचान का हिस्सा रहे हैं। काशी ने अपने आंगन में विश्वनाथ मंदिर के बनने बिगड़ने का पूरा इतिहास अपनी आंखों से देखा है। आइए विस्तार से जानते है बाबा विश्वनाथ की पवित्र कथा।

विषयासक्तचित्तोऽपि त्यक्तधर्मरतिर्नरः।
इह क्षेत्रे मृतः सोऽपि संसारे न पुनर्भवेत्‌॥
जपध्यानविहीनानां ज्ञानवर्जितचेतसाम्‌।
ततो दुःखाहतानां च गतिर्वाराणसी नृणाम्‌॥
तीर्थानां पञ्चकं सारं विश्वेशानंदकानने।
दशाश्वमेधं लोलार्कः केशवो बिंदुमाधवः॥
पञ्चमी तु महाश्रेष्ठा प्रोच्यते मणिकर्णिका।
एभिस्तु तीर्थवर्यैश्च वर्ण्यते ह्यविमुक्तकम्‌॥

भावार्थ:- ‘विषयों में आसक्त, अधर्मी व्यक्ति भी यदि इस काशी क्षेत्र में मृत्यु को प्राप्त हो तो उसे भी पुनः संसार बंधन में नहीं आना पड़ता।’ मत्स्य पुराण में इस नगरी का महत्व बताते हुए कहा गया है- ‘जप, ध्यान और ज्ञानरहित तथा दुःखों से पीड़ित मनुष्यों के लिए काशी ही एकमात्र परमगति है। श्री विश्वनाथ के आनंद-कानन में दशाश्वमेध, लोलार्क, बिंदुमाधव, केशव और मणिकर्णिका- ये पाँच प्रश्न तीर्थ हैं। इसी से इसे ‘अविमुक्त क्षेत्र’ कहा जाता है।’

शिव का ज्योतिर्लिंग के रूप मे स्थापित होना

इस परम पवित्र नगरी के उत्तर की तरफ ओंकारखंड, दक्षिण में केदारखंड और बीच में विश्वेश्वरखंड है। प्रसिद्ध विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग इसी खंड में स्थित है। पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में यह कथा प्रचलित है।

भगवान्‌ शिव पार्वतीजी से विवाह करके कैलास पर्वत पर ही रह रहे थे। लेकिन वहाँ पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वतीजी को अच्छा नही लगता था। एक दिन उन्होंने भगवान्‌ शिव से कहा- ‘आप मुझे अपने घर ले चलिए। यहाँ रहना मुझे अच्छा नहीं लगता। क्योंकि सभी लड़कियाँ शादी के बाद अपने पति के घर जाती हैं, परन्तु मुझे पिता के घर में ही रहना पड़ रहा है।’ भगवान्‌ शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। माता पार्वतीजी को साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी में आ गए। यहाँ आकर वे विश्वनाथ- ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन द्वारा मनुष्य समस्त पापों-तापों से छुटकारा पा जाता है। प्रतिदिन नियम से श्री विश्वनाथ के दर्शन करने वाले भक्तों के योगक्षेम का समस्त भार भगवान शंकर अपने ऊपर ले लेते हैं। ऐसा भक्त उनके परमधाम का अधिकारी बन जाता है। भगवान्‌ शिवजी की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है

काशी में कुल शिवलिंग

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रमुख ने बताया कि महादेव ने इस नगरी को अखिल ब्रह्मांड के रूप में बसाया था। यहाँ 33 कोटी देवी-देवताओं का वास है। काशी एक मात्र ऐसी नगरी है, जहाँ नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं।

धार्मिक शास्त्रो में मान्यता

हिन्दू धार्मिक शास्त्रो में मान्यता हैं कि प्रलयकाल में भी काशी का लोप नहीं होगा। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और पुनः सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देंगे। यही नहीं, आदि सृष्टि स्थली भी यहीं भूमि अर्थात काशी बतलायी जाती है।

इसी स्थान पर भगवान श्री विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न किया था और फिर श्री विष्णु के शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा अवतरित हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की। अगस्त्य मुनि ने भी विश्वेश्वर की बड़ी आराधना की थी और इन्हीं की अर्चना से श्रीवशिष्ठजी तीनों लोकों में पुजित हुए तथा राजर्षि विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाये।

धर्म नगरी काशी की परम्परा

धर्म नगरी काशी और सबसे बड़ी बात की भगवान शिव की बसायी नगरी काशी में सावन महीने का अलग ही महत्व है। यहाँ सावन महीने में कांवरियों का सैलाब उमड़ता है। सर्वप्रथम काशी के यदुवंशी अपने प्रिय देव बाबा विश्वनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। ये परंपरा करीब 90 साल पुरानी है। पहली बार इस परंपरा की शुरूआत 1932 में हुई जो अब तक निर्विवाद् रूप से जारी है।

काशी के बासी बताते हैं कि सन 1932 में पड़े अकाल के समय बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परम्परा शुरू हुई थी। तब से अब तक इस परम्परा का निर्वहन निरंतरत जारी है। मान्यता है कि यादव बंधुओं के जलाभिषेक से बाबा प्रसन्न होते हैं फिर वर्षा होती है। पूरा साल धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।

भारत में वर्ष 1932 में घोर अकाल के दौरान यहां के यदुवंशियों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया था। जलाभिषेक होते ही वर्षा शुरू हुई और लगातार तीन दिनों तक होती रही। तभी से हर वर्ष यदुवंशी समाज को ही सावन के पहले सोमवार को सर्वप्रथम बाबा का जलाभिषेक करने का अधिकार प्राप्त है।

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसी मान्यता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का यहॉं आगमन हुआ है।

यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया था और काशीनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गयी थी। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।

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बाबा काशी विश्वनाथ FAQ?

काशी विश्वनाथ की उत्पत्ति कैसे हुई?

भगवान्‌ शिव पार्वतीजी से विवाह करके कैलास पर्वत पर ही रह रहे थे। लेकिन वहाँ पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वतीजी को अच्छा नही लगता था। एक दिन उन्होंने भगवान्‌ शिव से कहा। भगवान्‌ शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। माता पार्वतीजी को साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी में आ गए। यहाँ आकर वे विश्वनाथ- ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। विस्तार पूर्वक पढ़े..

काशी विश्वनाथ | What Is The Full Story Of Kashi Vishwanath

काशी का रहस्य क्या है?

इसी स्थान पर भगवान श्री विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न किया था और फिर श्री विष्णु के शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा अवतरित हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की। विस्तार पूर्वक पढे..

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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-

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काशी में कितने शिवलिंग है?

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रमुख ने बताया कि महादेव ने इस नगरी को अखिल ब्रह्मांड के रूप में बसाया है। यहां 33 कोटी देवी-देवताओं का वास है। काशी एक मात्र ऐसी नगरी है, जहां नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं।

काशी विश्वनाथ | What Is The Full Story Of Kashi Vishwanath

काशी पवित्र नगरी क्यों है?

हिंदुओं के लिए, काशी एक पवित्र शहर है, क्योंकि यह वह जगह है जहाँ भगवान शिव काशी विश्वनाथन के रूप में निवास करते हैं, जहाँ देवी शक्ति अन्नपूर्णा के रूप में निवास करती हैं, और जहाँ विष्णु बिन्दुमाधव के रूप में निवास करते हैं। इसी स्थान पर भगवान श्री विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या किया था। और उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा अवतरित हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की। विस्तार पूर्वक पढ़े..

काशी विश्वनाथ | What Is The Full Story Of Kashi Vishwanath

सातवाँ ज्योतिर्लिंग कौन सा है?

धार्मिक पुराणों में कई जगह काशी विश्वनाथ मंदिर का वर्णन मिलता है। यहाँ पर विराजमान, शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो मे यह सातवाँ ज्योतिर्लिंग है। कई धार्मिक ग्रंथ महादेव के काशी में बसने की कहानी कहते हैं। विस्तार पूर्वक पढ़े..

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