धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र- 2023 | Dhanteras Puja Vidhi

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धनतेरस

धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र

हमारे देश हिन्दुस्तान में धनतेरस को बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन को सभी लोग अपने घरों की साफ सफाई करके इसे जगमग रोशनी से सराबोर कर देते हैं। धनतेरस पर माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शास्त्रों मे इस दिन की जाने वाली विधिवत पूजा के लिए प्रदोष काल को अतिशुभ माना जाता है।

इस बर्ष धनतेरस (धनत्रयोदशी) 10 नवंबर 2023, दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है।  पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि:

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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-

  • 10 नवंबर 2023, दिन शुक्रवार, प्रदोष काल – 12:35 PM तक है।
  • 11 नवंबर, दिन शनिवार, वृषभ काल – 01:57 PM तक है।

अब पूजा से पहले धनतेरस से जुड़े खास कामों को जान लें।

  • सबसे पहले धनत्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। एवं शुद्ध जल से भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें। और इस दिन किसी जरूरतमंद को दान अवश्य करें
  • धनतेरस के दिन में अपनी क्षमतानुसार कोई भी शुभ वस्तु अवश्य खरीदें। 

पूजन सामग्री:

  1. चौकी
  2. चौकी स्थापन के स्थान पर स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत/ आटा
  3. चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल
  4. चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र
  5. एक तस्वीर जिसमें माता लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी भी विराजमान हो।
  6. गंगाजल
  7. पूजा की थाली
  8. सुपारी
  9. कुबेर यंत्र (यदि यह न उपलब्ध हो तो आप भगवान कुबेर की तस्वीर लें या उनके प्रतिरूप में सुपारी को पूजा में स्थापित करें।)
  10. जल कलश
  11. मौली या कलावा
  12. दो मिट्टी के बड़े दीपक
  13. दीप प्रज्वलन के लिए सरसों का तेल
  14. तेरह मिट्टी के दीपक और बाती (आप कम से कम 5 या आपकी क्षमता के अनुसार दीपक ले सकते हैं)
  15. कौड़ी
  16. सिक्का
  17. गुड़/शक्कर
  18. जल पात्र
  19. चंदन
  20. कुमकुम – हल्दी
  21. अक्षत
  22. रोली
  23. अबीर
  24. गुलाल
  25. लाल – पीले पुष्प
  26. पुष्प माला
  27. धुप-अगरबत्ती
  28. चढ़ावा (खील-बताशा, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग- जो आपकी क्षमता के अनुसार उपलब्ध हो)
  29. फल
  30. मिष्ठान्न
  31. ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची)
  32. क्षमतानुसार दक्षिणा (दान)
  33. कर्पूर

पूजा विधि:

  • संध्या समय में विधिवत पूजा की तैयारी शुरू करें।
  • पूजा स्थल को साफ करके वहाँ आटे या चावल की मदद से अल्पना बनाए। इसकी ईशान कोण या पूर्व दिशा में ही चौकी की स्थापना करें। आप चाहे तो वहाँ स्वस्तिक भी बना सकते हैं।
  • अब वहाँ चौकी स्थापित करें, तथा इस पर एक साफ लाल वस्त्र बिछाएं। अब इसे गंगाजल से शुद्ध करें।
  • अब सभी भगवानों के आसन के स्वरूप में इस पर कुछ अक्षत डालें। अब इस चौकी पर माता लक्ष्मी को स्थापित करें।
  • माता लक्ष्मी के साथ ही कुबेर यंत्र को कुबेर देवता के रूप में, एवं एक सुपारी को श्री गणेश के रूप में वहाँ स्थापित करें।
  • अब एक कलश में शुद्ध जल भरें। तथा इसकी ग्रीवा पर कलावा बांधें। अब चौकी पर कुछ अक्षत डालकर वहाँ इस कलश को स्थापित करें।
  • इसके मुख पर एक बड़ा दीपक रखें और इसमे ज्योति प्रज्वलित करें। यह जल कलश भगवान धन्वंतरि का ही स्वरूप है।
  • अब यमराज देवता की पूजा के लिए एक बड़ा मिट्टी का दीपक लें। इसमें एक कौड़ी, एक सिक्का और भोग के रूप में थोड़ा सा गुड़ या शक्कर डालें। इसे सरसों के तेल से भरकर इसमें 3 या 4 रुई की बातियां रखके इसे भी जलाएं।
  • अब 13 मिट्टी के दीपक प्रज्वलित करने के लिए पूजा की चौकी के पास रखें।
  • अब जल पात्र से तीन बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
  • अब प्रथम पूज्य श्री गणेशजी, माता लक्ष्मीजी, कुबेर देवजी, यमदीप और जलकलश पर गंगाजल छिड़कें।
  • इसके बाद हल्दी, कुमकुम, रोली, चंदन आदि से पंचोपचार की क्रिया विधि पूरी करें। चौकी पर विराजमान देवों को कलावा अर्पित करें। कौड़ी और सिक्का माता जी के चरणों में भी रखें।
  • इसके बाद सभी भगवानों को अबीर, गुलाल और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं, तथा धुप-अगरबत्ती जलाएं। साथ ही अब सभी दीपकों को प्रज्वलित करें।
  • धनतेरस के दिन अपने जो भी सामग्री खरीदी है, उसे पूजा में चौकी के पास अवश्य रखें। खील-बताशा और धनिया भी माता लक्ष्मीजी को धनतेरस के दिन अवश्य चढ़ाएं।
  • सोने- चांदी के आभूषण, सिक्के, बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग आदि को भी पूजा में अवश्य रखें।
  • चांदी या अन्य किसी भी धातु की साफ कटोरी में खीर और फल-मिष्ठान्न का भी भोग लगाएं।
  • ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची) भी चढ़ाएं।
  • पूजा में अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा भी रखें। यदि आपकी पूजा में किसी तरह की कोई कमी रह गई है, तो दक्षिणा उसकी पूर्ति करती है।
  • इसके बाद दाएं हाथ में पुष्प लेकर चौकी पर विराजित सभी देवों से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्ध जीवन की कामना करें। अब इस पुष्प को देवों के चरणों में अर्पित करें।
  • अब कर्पूर से आरती करें। और सब को प्रसाद वितरित करें।
  • मृत्युदेव यमराज जी के लिए जो दीपक आपने जलाया है, उसे ले जाकर अपने घर की दक्षिण दिशा में रखें। यह दीपक को जलाकर घर के भीतर नहीं रखा जाता है, इसीलिए इसे घर के बाहर दहलीज पर भी रखा जा सकता है।
  • अगले दिन कलश का जल तुलसी को अर्पित कर दें।

धनतेरस आरती:

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा॥जय धन्वंत॥

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए॥जय धन्वंत॥

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया॥जय धन्वंत॥

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी॥जय धन्वंत॥

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे॥जय धन्वंत॥

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा॥जय धन्वंत॥

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे॥जय धन्वंत॥

॥जय हो धन्वंतरि देवा जी की॥

पूजा मंत्र:

गणेश पूजा मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

लक्ष्मी पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै नमों नम:।

कुबेर पूजा मंत्र
ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

धनतेरस पर यह सरल पूजा विधि आपके धनतेरस के अनुष्ठान को अवश्य ही सफल बनाएगी। साथ ही धनतेरस की पूजा के बाद धनतेरस की कथा का अवश्य श्रवण करें। जिससे माता लक्ष्मी आपके घर में स्थिर रूप से निवास करेगी।

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सनातन संस्कृति मे पौराणिक कथाओं के साथ-साथ मंत्र, आरती और पुजा-पाठ का विधि-विधान पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ पढ़े:-

धनतेरस की कथा:

धनतेरस की पौराणिक कथा- 1

धनतेरस की पौराणिक कथा- 2

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