करवा चौथ की व्रत विधि, आरती और कथा

करवा चौथ शादीशुदा या विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यदि दो दिन चंद्रोदय हो या दोनों दिन न हो तो ‘मातृविद्धा प्रशस्त्यते’ के अनुसार पूर्वविधा लेनी चाहिए।

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श्री सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत में हिन्दी भावार्थ सहित

श्री सत्यनारायण व्रत कथा, सत्यनारायण पूजा भगवान विष्णु की एक धार्मिक अनुष्ठान पूजा है। मध्यकालीन युग के संस्कृत पाठ स्कंद पुराण में पूजा का वर्णन किया गया है।

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Hindu Navavarsh हिन्दू नववर्ष का विक्रम संवत 2080 में प्रवेश

नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। इस साल 2023 में हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2080, पिंगल संवत्सर का स्वागत बुधवार 22 मार्च 2023 के दिन किया जायेगा। हिन्दू धर्म में इस दिन को शुभ दिन माना जाता है।

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काल कौन था और कैसे हुई थी कलयुग की रचना ? The Story Of Kaal

कलयुग की रचना जब सभी देवताओं की सभा चल रही था तो उस वक्त काल बीच सभा में नाराज और सभा को बीच मे ही छोड़ कर चला जाता हैं उसकी इस नाराजगी से सभी देवता डर जाते हैं

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क्या है मार्कण्डेय ऋषि और यमराज की कथा | Markandey Rishi

आप लोगों ने कई ऋषियों और महर्षियों की कथाऐं सुनी होंगी। और उनके जीवन से आपको प्रेरणा भी मिली होगी। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व वाले शिव भक्त ऋषि थे मार्कण्डेय ऋषि।

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श्री गणेश की जन्म कथा | The Birth Story Of The Shri Ganesh

एक बार सृष्टि (प्रकृति) ने संपूर्ण शक्तियों से युक्त एक पार्वती पुत्र की कामना की और उस (श्री गणेश) की जन्म का कारण बनाया जया और विजया नामक पार्वती की सखियों को।

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शनिदेव का जन्म कथा | Sahanidev Ka Janm Katha

शनिदेव का नाम आते ही अधिकांश लोग भयभीत हो जाते हैं। लोगों का मानना है कि शनिदेव अत्यंत ही क्रोधी स्वभाव के हैं और अशुभ फल ही प्रदान करते हैं।

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काल भैरव – शिव के दूसरे स्वरूप | Kaal Bhairav

शिव के दूसरे रूप काल भैरव जयन्ती की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जयन्ती की अपनी अलग ही विशेषता है। ये अपने भक्तों की संपूर्ण मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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भगवान विष्णु का जन्म कथा एवं सृष्टि की रचना

विष्णु का जन्म जब संपूर्ण ब्रह्मांड मे केवल रात्रि का ही साम्राज्य था। उस समय केवल एकमात्र ‘सत ब्रह्म’ अर्थात सदाशिव की ही सत्ता विद्ध्मान थी।

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भगवान शिव जन्म कथा | What Is The Shiv Janm katha

शिव जन्म- जब संपूर्ण ब्रह्मांड जलमग्न था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा कोई भी अस्तित्व में नहीं था। तब भगवान विष्णु ही शेषनाग पर विश्राम करते हुए नजर

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रामसेतु एक अजूबा | Ramsetu Ek Ajooba

रामसेतु एक अजूबा- भगवान श्रीराम की वानर सेना द्वारा रावण से पत्नी सीता को बचाने के लिए और भगवान श्रीराम को लंका पहुंचाने के लिए इस सेतु का निर्माण किया गया था।

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धनतेरस पूजा विधि, आरती और मंत्र- 2023 | Dhanteras Puja Vidhi

हमारे देश हिन्दुस्तान में धनतेरस को बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, गणेशजी, कुबेर देवता और धन्वंतरि जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

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छठ पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा Chhath Puja 2023

एकमात्र ऐसा त्यौहार जो भगवान को श्रद्धांजलि देता है जो पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा लाता है, छठ पूजा में कई अनुष्ठान शामिल हैं जिसमे वैदिक देवता-सूर्य की पूजा कार्तिकेय के महीने में 4 दिनों तक की जाती है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है।

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धनतेरस की पौराणिक कथा- 2 | Dhanteras ki katha

धनतेरस प्रकृति जब चाहती है तो वह किसी के भी साथ कुछ भी कर सकती है वह चाहे तो राजा को भिखारी और भिखारी को राजा बना देती है ऐसे ही एक कहानी एक गरीब किसान की भी थी।

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धनतेरस की पौराणिक कथा- 1 | Dhanteras ki katha

कहते है प्रकृति जब स्वयं चाहती है तब ही कुछ घटनाऐ घटती है। और तब ही आप कुछ नया ज्ञान आपको सीखने को भी मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था आज से लगभग 22 से 25 बर्ष पहले।

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दीपावली पूजन विधि और मंत्र | Diwali Poojan Vidhi Aur Mantr

कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन।

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दीपावली पर्व की कथा | Diwali Parv kee Katha

मित्रों! सनातन धर्म जो है वो सत्य, संस्कार, शास्त्रों और पौराणिक कथाओं का एक भण्डार है। आप जितना ही इसे समझने का प्रयास करेंगे उतना ही सत्य आपके समक्ष आता ही रहेगा। चलिए हम आज के सत्य और पौराणिक कथा पर आते है।

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रावण के अन्तिम संवाद | Raavan Ke Antim Samvaad

कुछ समय पूर्व की बात है। या यूं कहें कि कुछ युग पूर्व की बात है। उस समय एक अजीब सा कोलाहल इस विश्व में हुआ था जब धरती भी मानो अपनी धूरी से लगभग 8-10 फुट तक नीचे धस गई थी और सागर, नदी, तालाब, कूएँ सभी के जल भी मानो आकाश को स्पर्श कर रहे हो।

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दशानन- लंकापति रावण संपूर्ण कथा | The Ravan Full Story

भारतीय पौराणिक कथाएं साधारण अच्छाई और बुराई से परे है। हिन्दू पुराणों में हर कदम पर एक दिलचस्प कहानी है। ऐसी ही एक कहानी लंकापति रावण की है। रावण ने खलनायक की भूमिका निभाई,

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भगवान शिव का तांडव नृत्य

पुराणों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो उनके साथ ‘सत’, ‘रज’ और ‘तम’ ये तीनों गुण भी जन्मे थे। यही तीनों गुण शिव के ‘तीन शूल’ यानी ‘त्रिशूल’ कहलाए। संगीत प्रकृति के हर कण में मौजूद है। भगवान शिव को ‘संगीत का जनक’ माना जाता है।

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ब्रह्मा अवतार तथा ब्रह्माण्ड की रचना

सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान नारायण के नाभिकमल से सर्व प्रथम ब्रह्मा जी का प्राकट्य हुआ। इसी से वे पद्मयोनि भी कहलाते हैं। नारायण की इच्छाशक्ति की प्रेरणा से स्वयं उत्पन्न होने के कारण ये स्वयम्भू भी कहलाते है।

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भगवान नरसिंह और भक्त प्रहलाद कथा

बहुत पुरानी बात है, उस समय सत्ययुग चल रहा था। एक बार भगवान ब्रह्मा के मानस-पुत्र ऋषि सनकादि, जिनकी आयु हमेशा पंचवर्षीय बालक कीसी ही रहती है, वैकुण्ठ लोक में जा पहुँचे। वे भगवान् विष्णु के पास जाना चाहते थे

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महर्षि दुर्वासा कथा

ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रेता एवं द्वापर तीनों युगों में मौजूद थे। पुराणों के अध्ययन से पता चलता है कि वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवन्त आदि कई ऋषि, मुनि और देवता हुए हैं जिनका जिक्र सभी युगों में पाया जाता है।

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कल्कि अवतार कथा

कल्कि को विष्णु का भावी अवतार माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा। पौराणिक आख्यानों के अनुसार अभी तो कलियुग का प्रथम चरण है।

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भगवान परशुराम सम्पूर्ण कथा

भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। उनके पिता ब्राह्मण जमदग्नि तथा माता क्षत्रिय रेणुका थी। इसलिये उनके अंदर ब्राह्मण तथा क्षत्रिय दोनों के गुण थे। उनका बचपन में नाम राम रखा गया था किंतु भगवान शिव से प्राप्त अस्त्र परशु/कुल्हाड़ी के कारण उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में उनका जन्मस्थल मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर में जनापाव नामक पहाड़ियां है।

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